सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी साहित्य की एक जानी-मानी लेखिका थी ।जिनकी झांसी की रानी कविता आज भी लोगो जुबान पर है "खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी" ।इन्होंने ने कई स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया ।google Doodle
इनका जन्म 16 अगस्त 1904 में
इलाहाबाद के निकट निहलपर नामक गाँव मे नागपंचमी के दिन हुआ था ।बाल्यकाल से ये कविता रचने लगी थी ,इनकी प्ररंभिक शिक्षा इनके पिता ठाकुर रामनाथ सिह के देख -रेख में हुई । 1919 में इनका विवाह खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ सम्पन्न हुआ। ये एक लेखिका के साथ राष्ट्रप्रेमी भी थी ।ये गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली प्रथम महिला थी ।15 फरवरी 1948 को एक कार दुर्घटना में इनका निधन हो गया था ।इनके सम्मान में भारतीय तटरक्षक जहाज को सुभद्रा नाम दिया गया,भारतीय डाक विभाग ने इनके सम्मान में 25 पैसे डाक टिकट जारी किया जिसपर इनकी तसवीर बनी थी ।।
प्रशिद्ध पंक्तिया ।
यह कदम का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ।
कानपुर के नाना की,मुहबोली बहन छविली थी लक्ष्मीबाई नाम , पिता की वह संतान अकेली थी ।नाना के संग पढ़ती थी वह नाना के संग खेली थी। बरछी ढाल कृपाल कटारी उसकी यही सहेली थी ।बुंदेलों हरवोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी ।खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ।
Gajqb kr diya tune itna gyan kha se late ho
ReplyDeleteBig fan sir from america